श्राद्ध में करे इन चीजों का दान,मिलेगा धर्म लाभ

पितृपक्ष के 16 दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और पितृ दोष भी खत्म हो जाते हैं। श्राद्ध में गाय, तिल, भूमि, नमक, घी आदि दान करने की परंपरा है।

गुड़ एवं नमक का दान...

कई लोग घर में आपसी कलह और झगड़ों से परेशान रहते है। उनके घर में आर्थिक परेशानी भी बनी रहती है। श्राद्ध में उन्हें पितरों के निमित गुड एवं नमक का दान करना चाहिए। गरूड़ पुराण के अनुसार नमक के दान से यम का भय दूर होता है।

वस्त्रों का दान...

गरूड़ पुराण तथा कई अन्य शास्त्रों में भी बताया गया है कि पितरों को भी हमारी तरह सर्दी और गर्मी का अहसास होता है। मौसम के प्रभाव से बचने के पितर ईच्छा रखते है कि उनके वंशज एंव पुत्र वस्त्रों का दान करे। जो व्यक्ति अपने पितरों के निमित वस्त्र का दान करते है उन पर सदैव पितरों की कृपा बनी रहती हैं। पितरों की धोती और दुपट्टा दान करना उत्तम माना जाता है।

काले तिल का दान...

काला तिल भगवान विष्णु को प्रिय है। श्राद्ध के हर कर्म में तिल की आवश्यकता होती है। श्राद्ध पक्ष में दान करने वाले को कुछ भी दान करते समय हाथ में काला तिल लेकर दान करना चाहिए। इससे दान का फल पितरों को प्राप्त होता है। अगर कुछ अन्य वस्तु दान नहीं कर रहे हैं तो सिर्फ तिल का दान भी किया जा सकता है। तिल का दान करने से पितर गण संकट एवं विपदाओं से रक्षा करते है।

चांदी का दान...

पुराणों के अनुसार पितरों का निवास स्थान चंद्र के ऊपरी भाग में होता है। शास्त्रों के अनुसार पितरों को चांदी की वस्तुएं अत्यधिक प्रिय होती है। चांदी, चावल और दूध से पितर खुश हो जाते है। पितरों को खुश करने के लिए आप इन चीज़ों का दान कर सकते है। इन वस्तुओं के दान से आपको मनवांछित फल मिलता है और वंश की वृद्धि होती है।

भूमि दान...

शास्त्रों में भूमि दान को भी सर्वोत्तम दान कहा गया है। महाभारत में कहा गया है कि किसी भूल के कारण बड़े से बड़ा पाप हो जाने पर भूमि दान करने से पाप से मुक्ति मिल जाती है। भूमि दान से अक्षय पुण्य मिलता है। मान्यता है कि पितरों के निमित्त भूमि दान करने से पितरों को पितर लोक में रहने के लिए अच्छा स्थान मिलता है।

गाय का दान करें..

शास्त्रों में सबसे उत्तम गौदान को बताया गया है। गरूड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के समय जो व्यक्ति गाय की पूंछ पकड़कर गाय का दान करता है वह मृत्यु के बाद यमलोक जाने वाले रास्ते को आसानी से पार कर जाता हैं। यमलोक के रास्ते में पड़ने वाली भयानक नदी को वह आसानी से पार कर लेता है। इस नदी में भयानक जीव-जन्तु हैं जो पापी व्यक्ति को पीड़ित करते हैं। पितृ पक्ष में गाय को दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख एवं एश्वर्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।